Add To collaction

लेखनी कहानी -17-Oct-2022 रक्षाबन्धन (भाग 15 )


         शीर्षक। :-   रक्षाबन्धन
                           *********
                    हमारा देश भारत त्योहारों का देश है यहाँ नित रोज नये त्योहार मनाये जाते है। भारत में रक्षा बंधन का त्योहार भाई और बहन के बीच के बंधन को मजबूत करने वाला पर्व है। रक्षा बंधन का अर्थ है रक्षा का बंधन, यह का पर्व हर साल श्रवण मास पूर्णिमा को मनाया जाता है। 

                इस दिन बहन अपने भाई की रक्षा के लिए उसकी कलाई पर राखी' नामक पवित्र धागा बांधती है। श्रावण मास की पूर्णिमा पर मनाया जाने वाला रक्षा बंधन भारत का सबसे लोकप्रिय त्योहार है। राखी के त्योहार को लेकर कई प्राचीन कहानियां प्रचलित में हैं। अगर हम इतिहास में देखें तो भाई और बहन के बीच प्यार का प्रतिक रक्षा बंधन युद्ध में जीत का भी प्रतीक है।


                         हमारे इतिहास व हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन काल में देवताओं और राक्षसों के बीच महायुद्ध हुआ, जो लगातार 12 साल तक चला। इस युद्ध के अंत में देवताओं की हार और राक्षसों की जीत हुई। इस जीत के बाद राक्षसों ने देवताओं के राजा-इंद्र के सिंहासन पर कब्जा कर लिया। उनका पाप लगातार बढ़त गया और उन्होंने तीनों लोगों पर भी कब्जा कर लिया। जब तीनों लोकों में देवता की हार हुई तो, सभी देवता मिलकर देवताओं के आध्यात्मिक गुरु बृहस्पति देव के पास गए और उनसे मदद मांगी। देव गुरू ने उनकी रक्षा हेतु कुछ मन्त्र दिये थे।

             और उनका जाप करने को कहा, जिससे उनको सुरक्षा मिल सके। बृहस्पति ने इंद्रा को पूजा का पूरा विधान बताया और कहा की श्रावण मास में पूर्णिमा के से दिन मंत्रों के जाप की प्रक्रिया शुरू करें। बृहस्पति देव ने इंद्रा को एक अभिमंत्रित ताबीज दिया। इस ताबीज को इंद्रा की पत्नी शची 'इंद्राणी ने उनकी दाहिनी कलाई पर बांध दिया। जिसके बाद इंद्रा देव ने बृहस्पति देव के दिए मंत्रों का विधिपूर्वक जाप शुरू किया।

              उस समय  इन्द्र ने उन मन्त्रौ का जाप किया और पूजा पाठ भी किया।      पूजा-पाठ पूरी करने के बाद इंद्र को भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश का आशीवार्द मिला। इनआशीर्वादों के कारण, भगवान इंद्र ने राक्षसों को युद्ध में हरा दिया और तीनों लोकों पर देवताओं का आधिपत्य पुनः स्थापित किया। इस जीत के बाद हर वर्ष श्रवण मास की पूर्णिमा को रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाने लगा। यह एक पवित्र बन्धन को  दर्शाता है।

                उस समय से लेकर आज तक  रखाबंधन के दिन बहन भाई के लिये एक थाली में मिठाई नारियल फल राखी और चावल कुमकुम रखकर उसका तिलक करके उसको मिठाई खिलाकर अपने हाथों से रेशम की डोरी उसके हाथ में बांधती है। इस तरह सारे भारत में राखी का त्यौहार बहन भाई की कलाई पर रखाी बांधकर उसे अपने प्यार में बंधती है। भाई को वह राखी हमेशा अपने बहन की याद और रक्षा करने का वचन याद दिलाती है। इस तरह यह त्यौहार पूरे रीति रिवाज के साथ मनाया जाता है और जाता रहेगा। राखाी का त्यौहार निश्छल प्रेम का प्रतीक है। एक दूसरे से किये हुये वादें निभाने का प्रतीक है। अपनी भूली बिसरी का यादों का तरोताजा करने का दिन है। कुछ नये वादे करने का भाई बहन का एक अपनेपन का पवित्र दिन है। इस रिश्ते में शंका की कोई गुंजाईश नही रहती।

               भारतवर्ष अनेक रीतिरिवाजो संस्कति त्यौहार का देश कहा जाता है। तो सच है त्यौहार के कारण हम एक दूसरे से जुड़े हुए रहते हैं। त्यौहार एक ऐसा जरिया है, जो कुछ न कुछ नया संदेश लेकर आता है। उनमें राखी का पर्व एक दूसरे की भावनाओं को समझने यह पवित्र त्योहार है। रक्षाबंधन का त्यौहार हर वर्ष बडे ही धूमधाम से हमारे देश में मनाया जाता है। यह हमारे लिये एक नया पैगाम संदेश लेकर नये वादे करनेके संकल्प के रूप में आता है। आज के आधुनिक युग में दिखावा कुछ ज्यादा हो गया, इससे बचें। केवल रेशम की डोरी बांधने से रक्षा बंधन नही हो जाता बल्कि उसमें प्यार की मिठास जरूरी है, यही तो प्यार का प्रतीक है।

                  जब  सावन का महीने आगमन के साथ ही शिव की आराधना का पर्व शुरू जाता है और जगह जगह मेले लगते है। बहुत से लोड पवित्र गंगा नदी से जल कन्धे पर कावड़ मे लेजाकर शिव लिंग पर चढा़ते है।

            इस सावन के महीने में हरियाली चारों और फैल जाती है और इस खुशनुमा मौसम में चार चांद लग जाते है। गांवों में आम की डाली पर झूले लगाये जाते है और सखी सहेलियों सावन की गीत गाकर इस त्यौहारों का आंनद उठाती है। हठ खेलियां करती है।

              सावन का महीना आते ही मायके की यादें तरोताजा होने लगती है। बहन इस सावन के मौके पर पड़ने वाले त्यौहार राखी का का बेसब्री से इंतजार करने लगती है और मायके पहुच जाती है। धार्मिक दृष्टि से देखा जाय तो यह राखी का पर्व एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह एक पवित्र त्योहार है।

30 Days Festival Comoetition  हेतु रचना

नरेश शर्मा " पचोरी "





   14
6 Comments

Gunjan Kamal

15-Nov-2022 10:11 AM

बेहतरीन

Reply

Khushbu

13-Nov-2022 05:50 PM

Nice 👍🏼

Reply

Mahendra Bhatt

04-Nov-2022 04:25 PM

बहुत खूब

Reply